Friday, July 8, 2011

ब्रहमा वि‍ष्‍णु महेश का होना


अजमेरमें ब्रह्माका मन्दिर है
इसलिए अजमेरमें ख्वाजा भी हैं
निराकार ब्रह्मा मुसलमानोंके आराध्य हैं
वोभी शब्द ब्रहमाकी पूजा करते हैं
आयतोंकी पूजा
पर किताबोंमें छपा हुआ.... ब्रहमत्व थोड़ेही होताहै
शब्द का ब्रह्मा तो उसके अर्थमें है
जो अर्थ जाने, वो मुसलमान।
किताबें तो लड़ाई झगड़े दंगे फसाद कराती हैं।

पालनहार विष्णु जल के पास
जल में ही रहते हैं
यमुना नदीके पास
गहरे समन्दरमें ... द्वारकामें
गंगा के किनारे हरिद्वारमें

महाकाल सुनसानमें रहते हैं
शहर के बीचोंबीच श्मशानमें
पर्वतों हिमालयमें
जंगलोंमें
हर कहीं
जहां भी जन्म होता है
आदमी पैदा होताहै
आदमी का होना ही उसे डराता है
कि ”हुआ हुआ“, ”ना होना“ हो गया तो
इसलिए डर है... तो बाकी सब ईश्वर हैं
और शिव महेश्वर
महाईश्वर!

विनम्रता ही उत्कृष्टता का मूल है।

सारी सृष्‍टि‍ की रचना एक सृष्‍टा से हुई। धरती, आकाश और सारी प्रकृति‍ अपने आप में पूर्ण है क्‍योंकि‍ ''उनमें जो वो हैं''  ''उससे इतर कुछ होने की कामना''  का अभाव है।  हम भी सम्‍पूर्ण हो सकते हैं अगर ''हम जो हैं '' उसे ही पर्याप्‍त रूप से समझ लें। इस सम्‍पूर्णता में रहना ही नैति‍कता है, इस सम्‍पूर्णता से भटकना ही अनैति‍कता है, भ्रष्‍टता है। जब इंसान अपने संपूर्णत्‍व को जान लेता है तो ही उसे सारी मानवजाति‍ और सारी सृष्‍टि‍ के प्रत्‍येक जीव अजीव का महत्‍व भी ज्ञात होता है... उनकी सम्‍पूर्णता का भी भान होता है.. यह सहज व्‍यवहार ही वि‍नम्रता है। और वि‍नम्रता कि‍सी भी उत्‍कृष्‍टता का मूल है, आधार है।

ताओ तेह किंग 39
ये चीजों प्राचीन काल में एक ही से जन्मी। आकाश सम्पूर्ण है और साफ है। धरती सम्पूर्ण है और सुस्थिर है। आत्मा सम्पूर्ण और सबल है। घाटी सम्पूर्ण है और भरी पूरी है। दसियों हजारों चीजें सम्पूर्ण और जिन्दा हैं। राजा और देवता सम्पूर्ण हैं, और देश में खरापन है। यह सभी सम्पूर्णता की नैतिकता में हैं। आकाश की पारदर्शिता उसे गिरने से बचाती है। पृथ्वी का ठोसपन उसे खंडखंड होने से बचाता है! आत्मा की सुदृढ़ता उसे इस्तेमाल होने से बचाती है! घाटी की सम्पूर्णता उसे सूखे से बचाती हैं! दसियों हजारों चीजों की बढ़वार उन्हें मुरझाने से बचाती है। राजा का नेतृत्व और देवता देश को पतन में जाने से बचाते हैं।  इसलिए ही विनम्रता ही उत्कृष्टता का मूल है।  नियम ऊंचाईयों का आधार हैं। इनके बिना राजकुमार और देवता अपने आपको अनाथ, विधुर-विधवा, या निरर्थक विचारते हैं। क्याये लोग विनम्रता पर निर्भर नहीं हैं। बहुत ही अधिक सफलता का कोई लाभ नहीं ! धातुओं की तरह मत खड़खड़ाओ मत या पत्थरों की घंटियों की तरह खटपट मत करो।

Wednesday, July 6, 2011

महान व्यक्ति किसी भी चीज के मूल को समझता है, ना कि सतही बातों को।

ताओ तेह किंग 38
एक वाकई में भला आदमी, अपने भलेपन से बेखबर रहता है।
इसलिए तो वो भला है।
एक चालाक, सदैव भला आदमी होने की कोशिश करता है
इसलिए वो भला नहीं होता।

एक वाकई भला आदमी कुछ नहीं करता
और ऐसा कुछ भी नहीं छोड़ता जो अन-किया बचा हो।
एक मूर्ख व्यक्ति हमेशा कुछ ना कुछ करता रहता है
और हमेशा ही उसके पास कुछ ना कुछ करने को होता है।

जब वाकई एक दयालु आदमी कुछ करता है, तो वो कुछ भी अन-किया नहीं छोड़ता।
और जब एक आम आदमी कुछ करता है, तो उसके करने के लिए बहुत कुछ हमेशा बचा रहता है।
जब एक अनुशासनप्रिय कुछ करता है तो कोई प्रतिक्रिया नहीं होती,
वो किसी प्रयास को बल देने के लिए, अपनी आस्तीने नहीं चढ़ाता।

इसलिए जब ताओ खो जाता है, तो भलाई है।
जब भलाई खो जाती है तो, दयालुता है
जब दयालुता खो जाती है, तो केवल न्याय होता है
जब न्याय खो जाता है तो केवल परम्पराएं या रिवाज रह जाते हैं
परम्पराएं आस्था और ईमानदारी के भूसे के समान हैं, जो भ्रमों की शुरूआत है।
यहीं से नादानियों का आरंभ होता है।
भविष्य का ज्ञान केवल ताओ की ही सुकोमल पकड़ में रहता है।

अतःएव वाकई महान व्यक्ति किसी भी चीज के मूल को समझता है, ना कि सतही बातों को।
वह जड़ों को देखता है ना कि फूलों फलों को।
इसलिए केवल इसी को स्वीकारे बाकी सब नकार दें, निरस्त करें।

Tuesday, July 5, 2011

बिना इच्छा किये, इच्छाहीन होना, इसी तरीके से सारी चीजें शांति में रहती हैं।

ताओ तेह किंग 37
ताओ अकर्म में बना रहता है।
तथापि ऐसा कुछ भी नहीं बचा जो नहीं हुआ।
अगर राजा और मसीहा इसका अवलोकन करें
तो दसियों हजारों चीजें कुदरतन विकसित हो जायें
यदि वो फिर भी कुछ करने की इच्छा रखते हैं
तो उन्हें निराकार पदार्थ की सरलता में लौटना होगा।
बिना इच्छा किये, इच्छाहीन होना
इसी तरीके से सारी चीजें शांति में रहती हैं।

Monday, July 4, 2011

उसका किसी तरह दोहन भी नहीं किया जा सकता

ओ तेह किंग 35
वो सभी लोग उसी तक आते हैं
जो एक को ही मानते हैं
उनके लिए वह परमविश्राम, खुशी और शांति है

आते जाते लोग अच्छे संगीत और खाने के लिए रूक सकते हैं
लेकिन ताओ का विवरण
वैसे ही होता है जैसे कुछ ना हो कर होना, बेस्वाद सा होना
वो दिखता नहीं, वो सुनाई नहीं देता
और ये भी कि उसका किसी तरह दोहन भी नहीं किया जा सकता

Saturday, July 2, 2011

वो अपने मक्सद खामोशी में पूरे कर लेता है और कोई दावा नहीं करता।

ताओ तेह किंग 34
महान ताओ हवा की तरह हमारे अगल बगल बहता है, दाईं ओर भी बाईं ओर भीं।
दसियों हजारों चीजें उस पर निर्भर हैं, पर वो किसी पर आधिपत्य नहीं रखता।
वो अपने मक्सद खामोशी में पूरे पा लेता है और कोई दावा नहीं करता।

वो दसियों हजारों चीजों को पुष्ट करता है
तब भी वो उनका खुदा नहीं है
उसका कोई लक्ष्य नहीं है, वह सूक्ष्मतम है।

उसमें दसियों हजारों चीजें वापिस समा जाती हैं
तब भी वो उनका खुदा नहीं है
यह ही तो अत्यधिक महानता है

वो अपनी महानता कभी भी प्रदर्शित नहीं करता
इसलिए भी, वो वाकई महान है।

Friday, July 1, 2011

दूसरों को जानना अक्लमंदी है, खुद को जानना बुद्धत्व।

ताओ तेह किंग 33

दूसरों को जानना अक्लमंदी है।
खुद को जानना बुद्धत्व है।
दूसरों पर प्रभुत्व पाने के लिए ताकत की जरूरत पड़ती है
खुद पर प्रभुत्व पाने के लिए दृढ़ता और मजबूती की जरूरत होती है।

वो जो यह जानता है कि उसके पास काफी है, वो अमीर है।
धैर्य इच्छाशक्ति का परिचायक है।
वो जो वहां रहता है, जहां वो है, वही सदा रहता है।
वो मरता है, पर नष्ट नहीं होता, सदैव रहता है।