Saturday, August 29, 2009

पतंजलि योगसूत्र, समाधिपाद अध्याय, सूत्र-5, 6, 7

सूत्र 5
वृत्तयः पंचतय्यः क्लिष्टाक्लिष्टाः।।

वृत्तियाँ पाँच प्रकार की होती हैं तथा उनमें से कुछ क्लिष्ट और अन्य अक्लिष्ट होती हैं।
क्लिष्ट का अर्थ इन वृत्तियों के उलझनभरे होने की शक्ति से है। यानि मन की कुछ बातें तो आसानी से समझ आ जाती हैं पर ‘कुछ समझ आती लगती‘ होने पर भी समझ नहीं आती।
यही वर्तमान आधुनिक मनोविज्ञान की कठिनाई है। कई मनोरोगों को समझने में अभी भी कठिनाई आती है। कभी कभी तो यह भी समझ नहीं आता कि यह शारीरिक है अथवा मानसिक।

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सूत्र 6
प्रमाणविपर्ययविकल्पनिद्रास्मृतयः।।

वृत्तियाँ पाँच प्रकार की होती हैं - प्रमाण, विपर्यय, विकल्प, निद्रा और स्मृति।
1. प्रमाण - यानि प्रमाणित, सत्य, सच्ची एक दूसरा अर्थ घटने और बढ़ने वाली
2. विपर्यय - विपर्यय यानि जो पर्याय नहीं है झूठ, असत्य
3. विकल्प - काल्पनिक मात्र
4. निद्रा - गहरी नींद
5. स्मृति - स्मरण, यादें

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सूत्र 7
प्रत्यक्षानुमानागमाः प्रमाणानि।

प्रमाण वृत्ति के तीन भेद हैं: प्रत्यक्ष, अनुमान तथा आगम।

- प्रत्यक्ष होना,साक्षात् होना पहला उपाय है।
- अनुमान, अंदाजे से ज्ञान
- आगम, यानि अतीत से प्राप्त ज्ञान, पूर्व से आया ज्ञान।