- देखो, वह दिखता नहीं है - वह रूपाकारों से परे है।
सुनो, वह सुनाई नहीं देता- वह ध्वनियों से परे है।
ग्रहण करो, वह पकड़ाई में नहीं आता - वह अमूर्त है।
यह सब अपरिभाषेय है।
इसलिये ये एक में ही समाहित हैं।
- वह ऊपर से चमकीला नहीं।
वह नीचे से काला नहीं।
वह विवरण से अटूट रूप से जुड़ा सूत्र है।
वह कहीं भी वापस नहीं जाता।
या वह ‘कहीं नहीं’ की ओर वापस जाता है।
वह अरूप का रूप है।
वह अमूर्तता की छवि है।
वह अपरिभाषेय है और कल्पनातीत है।
- उसके आगे चलो तो पाओगे उसका आरंभ कहीं नहीं मिलता।
उसका पीछा करो, तो अंत भी नहीं दिखता।
उस परमात्मा के साथ ही चलो,
इसी क्षण में जिओ।
प्राचीन और आदि का ज्ञान, परमात्मा का सार है।