Friday, September 18, 2009

‘‘ताओ तेह किंग’’ अध्याय 4 एवं 5

4

  • परमात्मा खोखली बांसुरी की तरह होता है, उसके खोखलेपन से ही सात सुर निकलते हैं। 
  • वह अगाध-अथाह ही अनन्त चीजों का स्रोत है। 
  • वह धारदार को कुंद बनाता है, गांठ का खोल देता है, चौंधियाहट को सौम्य बनाता है और धूल में ही समाया रहता है।
  • वह अनन्त गहरा और गुप्त है पर सदा ही मौजूद रहता है।
  • मुझे नहीं पता वह कहाँ से आया है, पर वह ईश्वरों का भी ईश्वर है।

5
  • धरती और स्वर्ग निष्पक्ष हैं।
  • वह हजारों चीजों को घास-फूस से बने खिलौने के कुत्ते की तरह देखते हैं।
  • इसी तरह भला आदमी निष्पक्ष होता है।
  • स्वर्ग और धरती के बीच का स्थान धौंकनी की तरह होता है। आकार बदलता है पर उसका रूप नहीं। उसे जितना चलाओ उतना ही पैदावार देती है।
  • अधिक शब्द गिनने योग्य नहीं होते।
  • केन्द्र को दृढ़तापूर्वक पकड़े रहो।
मूल सामग्री : http://www.iging.com/laotse/LaotseE.htm#14