- परमात्मा खोखली बांसुरी की तरह होता है, उसके खोखलेपन से ही सात सुर निकलते हैं।
- वह अगाध-अथाह ही अनन्त चीजों का स्रोत है।
- वह धारदार को कुंद बनाता है, गांठ का खोल देता है, चौंधियाहट को सौम्य बनाता है और धूल में ही समाया रहता है।
- वह अनन्त गहरा और गुप्त है पर सदा ही मौजूद रहता है।
- मुझे नहीं पता वह कहाँ से आया है, पर वह ईश्वरों का भी ईश्वर है।
5
- धरती और स्वर्ग निष्पक्ष हैं।
- वह हजारों चीजों को घास-फूस से बने खिलौने के कुत्ते की तरह देखते हैं।
- इसी तरह भला आदमी निष्पक्ष होता है।
- स्वर्ग और धरती के बीच का स्थान धौंकनी की तरह होता है। आकार बदलता है पर उसका रूप नहीं। उसे जितना चलाओ उतना ही पैदावार देती है।
- अधिक शब्द गिनने योग्य नहीं होते।
- केन्द्र को दृढ़तापूर्वक पकड़े रहो।
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