Tuesday, December 9, 2014

धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष

धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष. यानि यदि आप इंसान के रूप में पैदा हुए हैं तो सबसे पहले यह जानना जरूरी था कि धर्म क्या है, इसके बाद जीवन में सार्थक क्या है यह जानना दूसरी प्राथमिकता थी, तीसरी थी — कामनाओं का स्वरूप जानना और चौथी और आखिरी चीज जो इन तीनों के बाद स्वयं आती थी (वैसे ही जैसे पेड़ से फल पक कर गिर जाता है यानि मोक्ष) ...
धर्म का मतलब किसी मनुष्य से दिखने वाले रोबोट में गीता, कुरान, बाइबिल जैसी किताबों के साफ्टवेयर इंस्टाल कर के हिंदू मुसलमान या ईसाई हो जाना नहीं होता। धर्म का मतलब है अपने तन मन रूह, अपने अस्तित्व की प्रकृति से अवगत होना।
अर्थ का मतलब...धन दौलत कमाने में ही जीवन की सार्थकता से नहीं.. बल्कि जीवन में क्या क्या अर्थवान है इसकी खोज है।
काम का अर्थ बच्चे पैदा करना नहीं होता।
काम का अर्थ है कामनाओं की समझ होना, इच्छा का स्वरूप पता होना, इंद्रियों के संसर्ग से इच्छा कैसे पैदा होती है और मन में अहं सी कुण्डली मारकर कैसे बैठ जाती है... इच्छा अपने होने को ही जीवन कैसे कहती है, इसकी खोज खबर रखना काम को जानना है।
मोक्ष का मतलब देह का विसर्जन सीखना, त्याग सीखना नहीं है। मोक्ष का मतलब आत्महत्या करना नहीं है। मोक्ष का मतलब जीवन मरण से मुक्ति नहीं है।
मोक्ष का अर्थ है जो मुक्त ही है उसे जान लेना, खुद से परिचित हो जाना....

Wednesday, January 22, 2014

ब्राम्ह्ण तीनों गुणों से परे होता है.



सत्, रज और तमस... इन तीनों गुणों में से किसी की भी पहुँच सत्य तक नहीं होती; ये तो डाकू-लुटेरों की तरह होते हैं, जो पकड़े जाने के डर से सार्वजनिक जगहों पर नहीं आते. 

एक बार एक आदमी जंगल से गुजर रहा था कि तीन डाकू अचानक प्रकट हुए और उन्होंने उस व्यक्ति के पास जो कुछ भी था सब लूट लिया। तब उनमें से एक डाकू बोला - इस आदमी को जिंदा छोड़ देने का क्या मतलब है? ऐसा कहते हुए वो डाकू अपनी कटार लेकर आदमी को मारने को उद्धत हुआ, तो दूसरा डाकू बाला- इसे मारकर भी हमें क्या मिल जायेगा? उस दूसरे डाकू ने आदमी को हाथ-पैर बाँधकर वहीं जंगल में छोड़ दिया। डाकू आगे बढ़ गये।

कुछ देर बाद ही तीसरा डाकू उस हाथ-पैर बंधे व्यक्ति के पास लौटा और बोला - ओह्, मुझे माफ करना। आप घायल हो? मैं आपको बंधनो से आजाद करता हूं। उसके हाथ-पैर खोलने के बाद वो डाकू बोला - मेरे साथ आओ, मैं तुम्हें जंगल से बाहर, मुख्य मार्ग तक पहुंचा देता हूं। काफी देर बाद वह मुख्य सड़क तक पहुंचे। डाकू बोला- अब ठीक है, तुम इस सड़क पर सीधे चलते चले जाना, तो तुम अपने घर तक पहुंच जाओगे।
तब वह व्यक्ति बोला- आप तो मेरे लिए बहुत अच्छे रहे हैं, आपने मेरा बड़ा भला किया है, आप मेरे साथ मेर घर क्यों नहीं चलते। डाकू बोला-  नहीं, मैं वहां नहीं जा सकता। पुलिस मेरे बारे मे ंसब जानती है।

यह संसार भी एक जंगल की तरह है। जो तीन डाकू-लुटेरे यहाँ आपकी फिराक में हैं वो हैं सत्व, रजस और तमस। जो व्यक्ति यहां लुटा वो सत्य का ज्ञान है। तमस ज्ञान को नष्ट कर देना चाहता है। रजस मनुष्य को संसार से बाँधता है, पर सत्व होता है जो उसे तमस और रजस से मुक्त करता है। सत्व के संरक्षण में ही मनुष्य, क्रोध, भावावेश और तमस की अन्य शैतानी प्रवृत्तियों से बच पाता है। हालांकि सत्व हमें सांसारिक बंधनों से मुक्त करता है तो भी वो है एक डाकू ही। सत्व मनुष्य को अंतिम सत्य का ज्ञान नहीं कराता तो भी वह मनुष्य को वह मार्ग दिखाता है जो ईश्वर तक ले जाये। वह मनुष्य को उस मार्ग तक ले जाता है जहां जाकर वह कहता है - यह है वो  मार्ग जिसके किसी सिरे पर तुम्हारा घर है। हालांकि सत्य भी ब्रम्हज्ञान से बहुत दूर होता है।