धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष. यानि यदि आप इंसान के रूप में पैदा हुए हैं तो 
सबसे पहले यह जानना जरूरी था कि धर्म क्या है, इसके बाद जीवन में सार्थक 
क्या है यह जानना दूसरी प्राथमिकता थी, तीसरी थी — कामनाओं का स्वरूप जानना
 और चौथी और आखिरी चीज जो इन तीनों के बाद स्वयं आती थी (वैसे ही जैसे पेड़
 से फल पक कर गिर जाता है यानि मोक्ष) ...  
 धर्म का मतलब किसी 
मनुष्य से दिखने वाले रोबोट में गीता, कुरान, बाइबिल जैसी किताबों के 
साफ्टवेयर इंस्टाल कर के हिंदू मुसलमान या ईसाई हो जाना नहीं होता। धर्म का मतलब है अपने तन मन रूह, अपने अस्तित्व की प्रकृति से अवगत होना।
 अर्थ का मतलब...धन दौलत कमाने में ही जीवन की सार्थकता से नहीं.. बल्कि जीवन में क्या क्या अर्थवान है इसकी खोज है।
 काम का अर्थ बच्चे पैदा करना नहीं होता। 
 काम का अर्थ है कामनाओं की समझ होना, इच्छा का स्वरूप पता होना, इंद्रियों
 के संसर्ग से इच्छा कैसे पैदा होती है और मन में अहं सी कुण्डली मारकर 
कैसे बैठ जाती है... इच्छा अपने होने को ही जीवन कैसे कहती है, इसकी खोज 
खबर रखना काम को जानना है। 
 मोक्ष का मतलब देह का विसर्जन सीखना, 
त्याग सीखना नहीं है। मोक्ष का मतलब आत्महत्या करना नहीं है। मोक्ष का मतलब
 जीवन मरण से मुक्ति नहीं है। 
 मोक्ष का अर्थ है जो मुक्त ही है उसे जान लेना, खुद से परिचित हो जाना....
 
 
 
No comments:
Post a Comment
टिप्पणी