Friday, October 23, 2009

22 मृतप्राय या न होने जैसा हो जाने में ही परम संरक्षण है।

22

बीज में ही वृक्ष छुपा रहता है।
जो पैदा होता है, नष्ट होता है वो फिर पैदा होता है अर्थात् मृत्यु में संरक्षण है।

जो मुड़ा हुआ है, वही सीधा हो सकता है।
जो खाली है, वही भर सकता है।
जो पुराना होता और घिसता है, वही नया हो सकता है।
जितने कम की उम्मीद रखेंगे, उतना ही अधिक मिलेगा।
जितना अधिक पाने की कोशिश करंेगे उतना ही भ्रम में पड़ेंगे।

इसलिए भला आदमी एक ही को अपनाता है और दूजों के लिए उदाहरण बनता है।
वह प्रदर्शन नहीं करता, सामने नहीं आता, इसलिए चैगुना प्रसिद्ध होता है।
अपने आपको सिद्ध करने की कोशिश नहीं करता, इसलिए सभी उसे उत्कृष्ट कहते हैं।
अभिमान नहीं करता, इसलिए सभी जगह मान्य होता है।
डींगंे नहीं मारता, इसलिए उसे नीचा नहीं देखना पड़ता।
वह किसी से लड़ता झगड़ता नहीं, इसलिए उससे भी कोई नहीं लड़ता-झगड़ता।

इसलिए प्राचीन लोग कहते थे:
मृतप्राय या न होने जैसा हो जाने में ही परम संरक्षण है।
तब वह पूर्ण हो जाता है और सब कुछ उसी में समाहित रहता है।