अलफ अल्ला नाल रता दिल मेरा, मैंनु ”बे“ दी खबर ना कोई
बे पढ़दियां मैंनु समझ ना आवे, लज्जत अलफ दी आई
अैन ते गैन नु समझ ना जाणा, गल अलफ समझाई
बुल्लिया कौल अलफ दे पूरे, जिहढ़े दिल दी करन सफाई।
मेरा दिल अ अक्षर से शुरू होने वाले अल्लाह के नाम में लग गया है। मुझे अन्य अक्षरों जैसे ब, स, द की कोई खबर नहीं। मैं अन्य अक्षर पढ़ता भी हूं तो वो मेरी समझ में नहीं आते, बस ”अ“ से अल्लाह में ही लज्जत या स्वाद या आनन्द आता है। यह ”अ“ से अल्लाह ही मुझे समझाता है कि अन्य सारी वर्णमाला (या दुनियांदारी) में कुछ नहीं रखा है, इसे समझने से कोई लाभ भी नहीं। बुल्लेशाह कहते हैं ”अ“ से अल्लाह में ही सारे सद्-सत् वचन समायें हैं, जिन्हें वे लोग ही समझ सकते हैं, जो नित्य ही मन की सफाई करते रहते हैं, उसे निर्मल बनाये रखते हैं।
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बे पढ़दियां मैंनु समझ ना आवे, लज्जत अलफ दी आई
अैन ते गैन नु समझ ना जाणा, गल अलफ समझाई
बुल्लिया कौल अलफ दे पूरे, जिहढ़े दिल दी करन सफाई।
मेरा दिल अ अक्षर से शुरू होने वाले अल्लाह के नाम में लग गया है। मुझे अन्य अक्षरों जैसे ब, स, द की कोई खबर नहीं। मैं अन्य अक्षर पढ़ता भी हूं तो वो मेरी समझ में नहीं आते, बस ”अ“ से अल्लाह में ही लज्जत या स्वाद या आनन्द आता है। यह ”अ“ से अल्लाह ही मुझे समझाता है कि अन्य सारी वर्णमाला (या दुनियांदारी) में कुछ नहीं रखा है, इसे समझने से कोई लाभ भी नहीं। बुल्लेशाह कहते हैं ”अ“ से अल्लाह में ही सारे सद्-सत् वचन समायें हैं, जिन्हें वे लोग ही समझ सकते हैं, जो नित्य ही मन की सफाई करते रहते हैं, उसे निर्मल बनाये रखते हैं।
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उठ जाग घुराढ़े मार नहीं, इह सौण तेरी दरकार नहीं
एक रोज जहांणों जाना ऐ, जां कब्रां विच समांणा ऐ
तेरा गोश्त कीड़्यां ने खाणा ऐं, कर चेता मरग (मर्ग, मौत) विसार नहीं
उठ जाग घुराढ़े मार नहीं, इह सौण तेरी दरकार नहीं
बुल्ले शाह खुद को ही चेताते हुए कहते हैं कि -
उठो जागो घुर्राटे मार के मत सोओ, तुम्हारा इस तरह घोड़े बेचकर सोना अपेक्षित नहीं है। सबको इस जहान से एक दिन जाना है, या कब्रों में समा जाना हैं। उन कब्रों में, जिनमें कीड़ों ने इस तन को खाना है। मौत को याद रखो, उसे भूलो मत। उठो जागो, घुर्राटे मार कर मत सोओ।
तेरे साहा नेढ़े आया ए, कुझ झोली दाज रंगाइया ऐ
क्यूं आपणा आप विजाइया ए, ऐ गाफिल तैनुं सार नहीं
तेरा सगाई का मुर्हूर्त भी करीब आ गया है (यानि उम्र हो चली है मौत आने वाली है) तेरे दहेज (दाज) को रंग रोगन भी किया जा रहा है (यानि शरीर पर झुर्रिया पड़ चली हैं, सिर दाढ़ी के बाल सफेद होने लगे हैं।) फिर भी तुम अपने आपको क्यों भूले हुए हो। एक अज्ञानी की तरह क्यों तुम्हें असार और सार में अन्तर नहीं मालूम, ऐसा तुम्हारे लिए उचित नहीं है।
तूं सुत्तियां उम्र वंजाई ए, तुं चरखे तंद ना पाई ऐ
की करमों दाज तिआर नईं, उठ जाग घुराड़े मार नईं
तुमने सोते हुए ही उम्र गुजार दी है, तुमने संसार रूपी चर्खे में सदकर्मों का सूत नहीं बुना है। इस प्रकार तुम्हारा दहेज (यानि सदकर्म यानि मौत की तैयारी) तैयार नहीं है, इसलिए उठ जाओ और घुर्राटे मार कर मत सोओ।
तूं जिस दिन जौबन मत्ती सौं, तूं नाल सईंआं दे रत्ती सौं
हो गाफल गल्ली वत्ती सौं, इह भेरा तैंनु सार नहीं।
तुम जिस दिन जवान हुए उसी दिन से ही आशाओं सपनों की सहेलियों में लीन हो गये और नादानों की तरह ख्वाबों ख्यालों से बतियाते रहे इस तरह तुम्हारा दुनियांदारी में लीन होना, यह उचित नहीं है.. यह नहीं चलेगा। इसलिए जाग जाओ और घुर्राटे मार कर मत सोओ।
उठ जाग घुराढ़े मार नहीं, इह सौण तेरी दरकार नहीं
एक रोज जहांणों जाना ऐ, जां कब्रां विच समांणा ऐ
तेरा गोश्त कीड़्यां ने खाणा ऐं, कर चेता मरग (मर्ग, मौत) विसार नहीं
उठ जाग घुराढ़े मार नहीं, इह सौण तेरी दरकार नहीं
बुल्ले शाह खुद को ही चेताते हुए कहते हैं कि -
उठो जागो घुर्राटे मार के मत सोओ, तुम्हारा इस तरह घोड़े बेचकर सोना अपेक्षित नहीं है। सबको इस जहान से एक दिन जाना है, या कब्रों में समा जाना हैं। उन कब्रों में, जिनमें कीड़ों ने इस तन को खाना है। मौत को याद रखो, उसे भूलो मत। उठो जागो, घुर्राटे मार कर मत सोओ।
तेरे साहा नेढ़े आया ए, कुझ झोली दाज रंगाइया ऐ
क्यूं आपणा आप विजाइया ए, ऐ गाफिल तैनुं सार नहीं
तेरा सगाई का मुर्हूर्त भी करीब आ गया है (यानि उम्र हो चली है मौत आने वाली है) तेरे दहेज (दाज) को रंग रोगन भी किया जा रहा है (यानि शरीर पर झुर्रिया पड़ चली हैं, सिर दाढ़ी के बाल सफेद होने लगे हैं।) फिर भी तुम अपने आपको क्यों भूले हुए हो। एक अज्ञानी की तरह क्यों तुम्हें असार और सार में अन्तर नहीं मालूम, ऐसा तुम्हारे लिए उचित नहीं है।
तूं सुत्तियां उम्र वंजाई ए, तुं चरखे तंद ना पाई ऐ
की करमों दाज तिआर नईं, उठ जाग घुराड़े मार नईं
तुमने सोते हुए ही उम्र गुजार दी है, तुमने संसार रूपी चर्खे में सदकर्मों का सूत नहीं बुना है। इस प्रकार तुम्हारा दहेज (यानि सदकर्म यानि मौत की तैयारी) तैयार नहीं है, इसलिए उठ जाओ और घुर्राटे मार कर मत सोओ।
तूं जिस दिन जौबन मत्ती सौं, तूं नाल सईंआं दे रत्ती सौं
हो गाफल गल्ली वत्ती सौं, इह भेरा तैंनु सार नहीं।
तुम जिस दिन जवान हुए उसी दिन से ही आशाओं सपनों की सहेलियों में लीन हो गये और नादानों की तरह ख्वाबों ख्यालों से बतियाते रहे इस तरह तुम्हारा दुनियांदारी में लीन होना, यह उचित नहीं है.. यह नहीं चलेगा। इसलिए जाग जाओ और घुर्राटे मार कर मत सोओ।
तूं मुंडे बहुत कुचंजी सौं, निरलजिआं दी निरलंजी सौं
तू खा खा खाणे रज्जी सौं, हुण ताएं तेरा बार नहीं
तुम लड़की की तरह बहुतेरे लड़कों से (यानि काम कर्म में) उलझे रहे, तुमने ऐसे ऐसे संबंध रचे कि जिनसे निर्लज्जता को भी लाज आ जाये। तुमने दिन में कई कई बार भोजन कर पेट भरा (यानि इंद्रियों को ही संतुष्ट किया) इसलिए अब तुम्हारे लिए कोई और चारा नहीं बचा है सिवाय इसके कि जाग जाओ।
अज कल तेरा मुकलावा ऐ, क्यूं सुत्ती कर कर दाअवा ऐ
अनडिठिआं नाल मिलावा ऐ, इह भलके गरम बजार नहीं
बस आज ही कल में तुम्हारी शादी होने ही वाली है (मौत आने ही वाली है) फिर भी क्यों अनजान होने का दावा कर, तुम सोये हुए हो। तुम्हारा मिलन उससे होने वाला है जिसको तुमने कभी नहीं देखा (यानि मौत से) यह दुनियांदारी का बाजार कल नहीं रहेगा इसलिए उठो जागो और घुर्राटे मारकर मत सोओ।
तूं ऐस जहानों जाएंगी, फिर कदम ना ऐथे पाएंगी
एह जोबन रूप वंजाएंगी, तै रहना विच संसार नहीं
जब तुम इस जहान से चले जाओगे, तो पलटकर कभी इसमें कदम भी ना रखोगे। यह जवानी और रूप खो दोगे, और इस संसार में नहीं रहोगो इसलिए अभी ही जाग जाओ और बेसुध होकर मत सोओ।
मंज्जल तेरी दूर दुराडी, तुं पौणा विच्चों जंगल वादी
औखा पहुंचण पैर पिआदी, दिसदी तू अवार नहीं
तेरी मंजिल बहुत दूर दूरतम है, जिसके मार्ग में कई जंगल और शहर हैं। वहां तक पैदल पहुंचना बहुत ही मुश्किल है और अध्यात्म की राह पर तुम परिपक्व, कुशल भी नहीं दिखते, इसलिए जागो, घुर्राटे मारकर मत सोओ।
इक इकली तन्हा चलसे, जंगल बरबर दे विच रूलसे
ले ले तोशां ऐथे घलसे, उथे लैण उधर नहीं
वहां हमें एक अकेले ही जाना हैं, पर रास्ते में संसार रूपी जंगल है जहां हम धूलधूसरित हो सकते हैं यहां तो हम दूसरों की मदद से जीवन तय कर लेते हैं पर वहां किसी तरह की उधारी नहीं चलती इसलिए जागो, घुर्राटे मारकर मत सोओ।
मौत के बाद, सन्नाटे रूपी एक खाली हवेली है जहां हमें अकेले ही रहना है। वहां कोई भी यार दोस्तसाथी नहीं होता और परमात्मा का नियम इस मामले में किसी को नहीं बख्शता इसलिए जागो, घुर्राटे मारकर मत सोओ।
जिहढ़े मन देसां दे राजे, नाल जिनां दे वजदे वाजे
गये हो के बे तख्ते ताजे, कोई दुनियां दा ऐतबार नहीं
जो लोग लाखों के मन में बसते थे, राज करते थे। जिनकी शान में गायन वादन होता था। जिनकी नौबत में बाजे बजा करते थे वो सब यहां से तख्त और ताज छोड़कर चले गये तो ऐसी दुनियां का भरोसा क्या करना? इस दुनियां का कोई ऐतबार नहीं है। इसलिए जागो, घुर्राटे मारकर मत सोओ।
कित्थे है सुल्तान सिकंदर मौत ना छड्डे पीर पैगंबर
संभे छड्ड छड्ड गये अडंबर, कोई ऐथे पाइदार नहीं
विश्व का जीतने वाला सुल्तान सिकंदर कहां है? मौत तो पीरों फकीरों को भी नहीं छोड़ती। पूजापाठसाधना के नाम पर उम्र भर तरह तरह के आडंबर करने वाले सभी को मौत ले जाती है, इससे बचाने वाला कोई नहीं। इसलिए घुर्राटे मारकर मत सोओ, जागो।
तू खा खा खाणे रज्जी सौं, हुण ताएं तेरा बार नहीं
तुम लड़की की तरह बहुतेरे लड़कों से (यानि काम कर्म में) उलझे रहे, तुमने ऐसे ऐसे संबंध रचे कि जिनसे निर्लज्जता को भी लाज आ जाये। तुमने दिन में कई कई बार भोजन कर पेट भरा (यानि इंद्रियों को ही संतुष्ट किया) इसलिए अब तुम्हारे लिए कोई और चारा नहीं बचा है सिवाय इसके कि जाग जाओ।
अज कल तेरा मुकलावा ऐ, क्यूं सुत्ती कर कर दाअवा ऐ
अनडिठिआं नाल मिलावा ऐ, इह भलके गरम बजार नहीं
बस आज ही कल में तुम्हारी शादी होने ही वाली है (मौत आने ही वाली है) फिर भी क्यों अनजान होने का दावा कर, तुम सोये हुए हो। तुम्हारा मिलन उससे होने वाला है जिसको तुमने कभी नहीं देखा (यानि मौत से) यह दुनियांदारी का बाजार कल नहीं रहेगा इसलिए उठो जागो और घुर्राटे मारकर मत सोओ।
तूं ऐस जहानों जाएंगी, फिर कदम ना ऐथे पाएंगी
एह जोबन रूप वंजाएंगी, तै रहना विच संसार नहीं
जब तुम इस जहान से चले जाओगे, तो पलटकर कभी इसमें कदम भी ना रखोगे। यह जवानी और रूप खो दोगे, और इस संसार में नहीं रहोगो इसलिए अभी ही जाग जाओ और बेसुध होकर मत सोओ।
मंज्जल तेरी दूर दुराडी, तुं पौणा विच्चों जंगल वादी
औखा पहुंचण पैर पिआदी, दिसदी तू अवार नहीं
तेरी मंजिल बहुत दूर दूरतम है, जिसके मार्ग में कई जंगल और शहर हैं। वहां तक पैदल पहुंचना बहुत ही मुश्किल है और अध्यात्म की राह पर तुम परिपक्व, कुशल भी नहीं दिखते, इसलिए जागो, घुर्राटे मारकर मत सोओ।
इक इकली तन्हा चलसे, जंगल बरबर दे विच रूलसे
ले ले तोशां ऐथे घलसे, उथे लैण उधर नहीं
वहां हमें एक अकेले ही जाना हैं, पर रास्ते में संसार रूपी जंगल है जहां हम धूलधूसरित हो सकते हैं यहां तो हम दूसरों की मदद से जीवन तय कर लेते हैं पर वहां किसी तरह की उधारी नहीं चलती इसलिए जागो, घुर्राटे मारकर मत सोओ।
मौत के बाद, सन्नाटे रूपी एक खाली हवेली है जहां हमें अकेले ही रहना है। वहां कोई भी यार दोस्तसाथी नहीं होता और परमात्मा का नियम इस मामले में किसी को नहीं बख्शता इसलिए जागो, घुर्राटे मारकर मत सोओ।
जिहढ़े मन देसां दे राजे, नाल जिनां दे वजदे वाजे
गये हो के बे तख्ते ताजे, कोई दुनियां दा ऐतबार नहीं
जो लोग लाखों के मन में बसते थे, राज करते थे। जिनकी शान में गायन वादन होता था। जिनकी नौबत में बाजे बजा करते थे वो सब यहां से तख्त और ताज छोड़कर चले गये तो ऐसी दुनियां का भरोसा क्या करना? इस दुनियां का कोई ऐतबार नहीं है। इसलिए जागो, घुर्राटे मारकर मत सोओ।
कित्थे है सुल्तान सिकंदर मौत ना छड्डे पीर पैगंबर
संभे छड्ड छड्ड गये अडंबर, कोई ऐथे पाइदार नहीं
विश्व का जीतने वाला सुल्तान सिकंदर कहां है? मौत तो पीरों फकीरों को भी नहीं छोड़ती। पूजापाठसाधना के नाम पर उम्र भर तरह तरह के आडंबर करने वाले सभी को मौत ले जाती है, इससे बचाने वाला कोई नहीं। इसलिए घुर्राटे मारकर मत सोओ, जागो।
कित्थे युसूफ माहि कनिआनी, लई जुलेखा फेर जवानी
कीती मौत ने उढ़क फानी, फेर उह हार सिंगार नहीं।
सोहनी महिवाल जैसे प्रेमी कहां है, जुलेखा नाम की सुंदरी की जवानी कहां है? मौत सब कुछ मिटा देती है, यह हारसिंगार नहीं रहता। इसलिए घुर्राटे मारकर मत सोओ, जागो।
कित्थे तख्त सुलेमान वाला, विच हवा उडदा सी बाला
उह भी कादर आप संभाला, कोई जिंदगी दा ऐतबार नहीं।
वह बड़े बड़े तख्तसिंहासन कहां है राज साम्राज्य कहां हैं जिसकी पताकाएं चहुं दिशांओं में ऊंची उंची लहराती थीं। यह सब परमात्मा ही संभालता है, इस जिन्दगी का तो कोई भरोसा नहीं। इसलिए घुर्राटे मारकर मत सोओ, जागो।
किथे मीर मलक मुलतानां?? सभे छड्ड छड्ड गए टिकाणा
कोई मार ना बैठे ठाणा, लश्कर दा जिनां शुमार नहीं
राजे महाराजे सब अपनो राज साम्राज्य छोड़ गये इसलिए किसी को भी अपने अमर होने के मुगालते में नहीं रहना चाहिए, मौत ना तो यह देखती है कि आप अकेले हैं ना ही यह कि आपके साथ कितना बड़ा लावलश्कर है।
फुल्लां फुल्ल चंबेली लाला, सौसन सिरबल सरू निराला
बादि खिजां कीता बुर हाला, नरगस नित खुमार नहीं
जहां चमेली के फूल खिलते हैं, जहां सावन के सिर पर रंगबिरंगे फूलों, पक्षियों,कीट पतंगों के सुन्दर मुकुट शोभा देते हैं ऐसी जगहें भी पतझड़ में बुरे हाल में होती हैं। नरगिस का खुमार बस पहर भर के लिए ही होता है। इसलिए घुर्राटे मारकर मत सोओ, जागो।
बुल्ला शह बिन कोई नाहीं, ऐथे उथे दोही जहाणी
संभल संभल के कदम टिकाईं, फेर आवण दूजी बार नहीं
उस परमात्मा के सिवा यहां या वहां दोनों जहां में कोई भी नहीं है। तुम संभल संभल कर कदम उठाना यदि इस संसार में दुबारा नहीं आना है। इसलिए घुर्राटे मारकर मत सोओ, जागो।
कीती मौत ने उढ़क फानी, फेर उह हार सिंगार नहीं।
सोहनी महिवाल जैसे प्रेमी कहां है, जुलेखा नाम की सुंदरी की जवानी कहां है? मौत सब कुछ मिटा देती है, यह हारसिंगार नहीं रहता। इसलिए घुर्राटे मारकर मत सोओ, जागो।
कित्थे तख्त सुलेमान वाला, विच हवा उडदा सी बाला
उह भी कादर आप संभाला, कोई जिंदगी दा ऐतबार नहीं।
वह बड़े बड़े तख्तसिंहासन कहां है राज साम्राज्य कहां हैं जिसकी पताकाएं चहुं दिशांओं में ऊंची उंची लहराती थीं। यह सब परमात्मा ही संभालता है, इस जिन्दगी का तो कोई भरोसा नहीं। इसलिए घुर्राटे मारकर मत सोओ, जागो।
किथे मीर मलक मुलतानां?? सभे छड्ड छड्ड गए टिकाणा
कोई मार ना बैठे ठाणा, लश्कर दा जिनां शुमार नहीं
राजे महाराजे सब अपनो राज साम्राज्य छोड़ गये इसलिए किसी को भी अपने अमर होने के मुगालते में नहीं रहना चाहिए, मौत ना तो यह देखती है कि आप अकेले हैं ना ही यह कि आपके साथ कितना बड़ा लावलश्कर है।
फुल्लां फुल्ल चंबेली लाला, सौसन सिरबल सरू निराला
बादि खिजां कीता बुर हाला, नरगस नित खुमार नहीं
जहां चमेली के फूल खिलते हैं, जहां सावन के सिर पर रंगबिरंगे फूलों, पक्षियों,कीट पतंगों के सुन्दर मुकुट शोभा देते हैं ऐसी जगहें भी पतझड़ में बुरे हाल में होती हैं। नरगिस का खुमार बस पहर भर के लिए ही होता है। इसलिए घुर्राटे मारकर मत सोओ, जागो।
बुल्ला शह बिन कोई नाहीं, ऐथे उथे दोही जहाणी
संभल संभल के कदम टिकाईं, फेर आवण दूजी बार नहीं
उस परमात्मा के सिवा यहां या वहां दोनों जहां में कोई भी नहीं है। तुम संभल संभल कर कदम उठाना यदि इस संसार में दुबारा नहीं आना है। इसलिए घुर्राटे मारकर मत सोओ, जागो।