अनंत संसार समुद्र तार नौकायिताभ्यां गुरुभक्तिदाभ्यां।The crossing of this Endless ocean of samsara is enabled
वैराग्य साम्राज्यद पूजनाभ्यां नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्यां॥१॥
उन गुरू की जो संसार रूपी अनंत समुद्र को पार करने के लिए
महानभक्ति रूपी नौका प्रदान करते हैं,
या अनंत संसार रूपी समुद्र को तारने वाली जो नौका की तरह है उस गुरू की,
जो वैराग्य रूपी साम्राज्य को प्रदान करने वाले हैं,
जो वैराग्य रूपी साम्राज्य में जो पूजनीय हैं उन गुरूओं की
हम चरण वंदना करते हैं।
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इस संसार रूपी अनंत समुद्र को गुरूभक्ति् रूपी नौका से पार करने योग्य बनाने वाले
और अमूल्य वैराग्य के साम्राज्य की राह दिखाने वाले गुरू के चरण वन्दना।
by the boat that is sincere devotion to Guru
Showing me the way to the valuable dominion of renunciation,
O dear Guru, I bow to thy holy sandals.
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कवित्व वाराशि निशाकराभ्यां दौर्भाग्यदावांबुदमालिक्याभ्यां।
दूरीकृतानम्र विपत्तिताभ्यां नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्यां॥२॥
ज्ञान के परम सागर पूर्णकला वाले चन्द्रमा की तरह औरLike a full moon for the ocean of the Knowledge,
जो दुर्भाग्य की ज्वालाओं पर भारी जलधार की बौछार की तरह हैं,
जो अपनी शरण में आने वालों को विपत्तियों से दूर रखने हैं
उन गुरू की चरण वन्दना।
Like down pour of water to put out the fire of misfortunes,
Removing the various distresses of those who surrender to them,
O dear Gurudev, I bow to thy holy sandals.
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नता ययोः श्रीपतितां समीयुः कदाचिदप्याशु दरिद्रवर्याः।
मूकाश्च वाचसपतितां हि ताभ्यां नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्यां॥३॥
जिन शुभ चरणों में रहने से ज्ञान रूपी महान खजाने के आधिपत्य मिल जाता है औरThose who prostrate to the blessed padukas of their Guru
अज्ञान के अभिशाप रूपी दरिद्रता से उबरना हो जाता है, मुक्ति मिल जाती है और
वो जो गूंगों को भी देवगुरू वृहस्पति सा बोलने वाला (वाकपटु) बना देते हैं
उन गुरू की चरण वन्दना।
become possessors of great wealth
and overcome the curse of their poverty very quickly.
To such padukas my infinite prostrations.
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नाली कनी काशपदाहृताभ्यां नानाविमोहादि निवारिकाभ्यां।
नमज्जनाभीष्ट ततिब्रदाभ्यां नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्यां॥४॥
वो गुरू जिनके कमल चरणों की ओर हम खिंचे चले जाते हैं,Attracting us to the Lotus-like feet of our Guru,
जिन्होंने हमारी कई इच्छाओं /मोह आदि का निवारण किया हैं और
जिनके चरणों में नत रहने से अभीष्ट वर मिलते ही रहते हैं
उन गुरू की चरण वन्दना।
removing all kinds of desires borne out of ignorance,
fulfilling all the desires of the disciple who bows humbly
To such padukas I humbly offer my obeisance.
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नृपालिमौलि ब्रज रत्न कांति सरिद्विराज्झषकन्यकाभ्यां।
नृपत्वदाभ्यां नतलोकपंक्ते: नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्यां॥५॥
किसी राजा के मुकुट में चमकने वाले प्रमुख मणि की तरह जो शिष्यों कोShining like a precious stone adorning the crown of a king
किसी नदी के मगर मच्छों के बीच निर्भय रहने वाली नवयौवना की तरह बना देते हैं,
जो आत्मज्ञान का संप्रभुत्वसम्पन्न राज्य देते हैं
उन गुरू की चरण वन्दना।
They stand out like a beautiful damsel in a river infested with crocodiles
They raise the devotees to the state of sovereign emperors,
To such padukas I humbly offer my obeisance.
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पापांधकारार्क परंपराभ्यां पापत्रयाहीन्द्र खगेश्वराभ्यां।
जाड्याब्धि संशोषण वाड्वाभ्यां नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्यां॥६॥
जो शिष्य के पाप और अनन्त अज्ञान अंधकार के लोक सेShining radiantly like the Sun, effacing the endless darkness of the disciples sins,
अप्रभावित सूर्य की तरह आलोकित रहते हैं,
जो हमारे तीन तरह के मानसिकवाचिककायिक,
दैहिक दैविक मानसिक पाप रूपी सर्पों के लिए गरूड़ के समान हैं
जो हद्दय के अज्ञान कीचड़ रूपी समुद्र को दावानल की तरह सुखा देते हैं
उन गुरू की चरण वन्दना।
Like an eagle for the snake like three-fold pains of Samsara
like a conflagration of fire whose heat dries away the
ocean of ignorance
To such supreme padukas of my Gurudev, I humbly surrender.
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शमादिषट्क प्रदवैभवाभ्यां समाधि दान व्रत दीक्षिताभ्यां।They endow us with the glorious six qualities like Shama,
रमाधवांघ्रि स्थिरभक्तिदाभ्यां नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्यां॥७॥
हमारे हदय को शमादिषट्क (शम दम उपरति तितिक्षा समाधान श्रद्धा )
ऐसें षट्क भावों का वैभव प्रदान करने वाले और
समाधि दान व्रत में दीक्षित करने वाले, और
जिन्होंने हमें रमापति विष्णु के चरणों में सदास्थिर रहने वाली भक्ति दी
उन गुरू की चरण वन्दना।
They vow to bless the intiated ones with the ability to go into samadhi.
Blessing the devotees with permanent devotion for the feet of Lord Vishnu(Ramaadhava)
To such divine padukas I offer my prayers.
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स्वार्चापराणाम खिलेष्टदाभ्यां स्वाहासहायाक्ष धुरंधराभ्यां।Fulfilling all the wishes of the disciples,
स्वान्ताच्छ भावप्रदपूजनाभ्यां नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्यां॥८॥
स्व अर्चित पराणाम अखिल इष्ट दाभ्यां
स्वाहा सहायाश्च धुरंधराभ्याम्
शिष्यों की समस्त कामनाओं को पूर्ण करने वाले
मुमुक्षुओं की सेवा में अपना समस्त स्वाहा करने को तत्पर और धुरंधर,
गंभीरज्ञानियों का आत्मज्ञान की दिव्य अवस्था में पदार्पण कराने वाले
उन गुरू की चरण वन्दना।
Who are ever-available and dedicated for Sewa,
Awakening the sincere aspirants to the divine state of self realization,
Again and again prostrate to those Padukas of my Poojya Gurudev
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कामादिसर्प व्रजगारुडाभ्यां
विवेक वैराग्य निधि प्रदाभ्यां।
बोध प्रदाभ्यां दृत मोक्ष दाभ्यां
नमो नमः श्री गुरु पादुकाभ्यां॥९॥
जो हमारे कामआदिभाव जैसे महाविषैले सर्पों के लिए गरूड़ के समान हैं.
जो कामआदिभाव जैसे महाविषैले सर्पों को गरूड़ के समान हर लेने वाले हैं
विवेक—वैराग्य का खजाना देने वाले हैं
जो परमबोध देने वालें हैं
जो तुरंत ही मोक्ष देने वालें हैं
They are like an eagle for all the serpents of desires,
Blessing us with the valuable treasure of discrimination and renunciation,
Granting us the knowledge to get instant liberation from the shackles of the life,
My prostrations to those holy Padukas of my Guru.
Blessing us with the valuable treasure of discrimination and renunciation,
Granting us the knowledge to get instant liberation from the shackles of the life,
My prostrations to those holy Padukas of my Guru.