Saturday, June 4, 2011

46 इच्छा से बड़ा कोई पाप नहीं है

ताओ तेह किंग 46
जब ब्रह्मांड में ताओ मौजूद होता है तो
घोड़े खाद ढोते/घसीटते हैं
जब ताओ ब्रह्मांड में मौजूद नहीं होता
शहर के बाहर युद्धोन्मादी घोड़े जन्म लेते हैं

इच्छा से बड़ा कोई पाप नहीं है
असंतोष से बड़ा अभिशाप नहीं है
अपने लिए कुछ भी मांगने से बड़ा दुर्भाग्य नहीं है
इसलिए वो जो कि जानता है कि काफी ही काफी है, उसके पास हमेशा काफी रहता है।

1 comment:

  1. बात बिलकुल समझ आई...फिर ये उलझन जन्मी...व्यक्तिगत तौर पे मैं बखूबी जानता हूँ कि काफी ही काफी है.

    तो क्या इसका मतलब हम जो है बस उसी में खुश रहे कोई इच्छा न करें, न कोई आकांक्षा? या हम करने को तो

    करते जाएँ इच्छाएं और आकांक्षाएं, प्रयास उन्हें पूरा करने के, कर्म अपने हक़ के..और आखिर में मिले या न मिले फल,

    हम लौ आयें अपने उसी विश्वास पर..कि इसलिए वो जो कि जानता है कि काफी ही काफी है, उसके पास हमेशा काफी रहता है।

    इस उलझन का निवारण शायद आपके कथन की रौशनी से हो..बताइये राजेशा जी!

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