हरि सिमरनु करि भगत प्रगटाए
हरि सिमरनि लगि बेद उपाएहरि सिमरनि भए सिद्ध जती दाते
हरि सिमरनि नीच चहुं कुंट जाते
हरि सिमरनि धारी सब धरना
सिमरि सिमरि हरि कारन करना
हरि सिमरनि कीउ सगल अकारा
हरि सिमरनि महि आपि निरंकारा
हरि किरपा जिसु आपि बुझाइया
नानक गुरूमुखि हरि सिमरनु तिनि पाइया
सुखमनि | खण्ड— 1:8
हरि का स्मरण करने से कई भक्तगण प्रकट हुए, जन्मे, प्रसिद्ध हुए। हरि का स्मरण करने से ही वेद उपजे। हरि का स्मरण करने से लाखों सिद्ध, यति और दानवीर हुए। हरि का स्मरण करने से ही नीच से नीच व्यक्ति भी चारों दिशाओं में ख्याति पाता है। हरि के स्मरण से सारी सृष्टि स्थापित है। हरि का स्मरण करने से ही संसार के सारे मूल, कारणों और उसके कर्ता, कर्म का भान होता है। हरि का स्मरण कर समस्त साकार जगत बना। हरि का स्मरण करने में ही स्वयं उस निरंकार निराकार की भी स्तुति है। लेकिन जिस पर हरि की कृपा हुई हो उसे ही हरि स्मरण हो पाता है और उसे ही सारे ज्ञान और सूझबूझ में सम्पन्नता मिलती है।
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