Monday, October 12, 2009

‘‘ताओ तेह किंग’’ अध्याय 16

  • खुद को सब चीजों से खाली कर लो।
  • मन स्थिर हो।
  • जब कोई अपने तक, अपनी वापसी देखता है तो हजारों चीजें प्रकट और विलीन होती दिखती हैं।
वह विकसित होती हैं, फूलती-फलती हैं और मूल को लौट जाती हैं।
  • स्रोत की ओर लौटना, स्थैर्य है, जो प्रकृति का अपना तरीका है।
  • प्रकृति के तरीके या ढंग अपरिवर्तनीय हैं।
  • स्थैर्य (स्थिरता) को जानना ही अंर्तदृष्टि है।
  • स्थैर्य (स्थिरता) को न जानना अनिष्ट की ओर ले जाता है।

  • स्थैर्य को जानने से मन खुलता है।
  • खुले मन से आप हार्दिक होते हैं।
  • हार्दिक, ह्रदय से होने पर आप जो करते हैं वह धार्मिक होता है।
  • धार्मिक होने पर अप दिव्य को प्राप्त होते हैं।
  • दिव्य होने पर ही आप ईश्वर से सायुज्य कर सकते हैं।
  • ईश्वर से सायुज्य में सबकुछ निहित है।
तब शरीर के मरने पर भी, ईश्वर रहता है।

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