- खुद को सब चीजों से खाली कर लो।
- जब कोई अपने तक, अपनी वापसी देखता है तो हजारों चीजें प्रकट और विलीन होती दिखती हैं।
वह विकसित होती हैं, फूलती-फलती हैं और मूल को लौट जाती हैं।
- स्रोत की ओर लौटना, स्थैर्य है, जो प्रकृति का अपना तरीका है।
- प्रकृति के तरीके या ढंग अपरिवर्तनीय हैं।
- स्थैर्य (स्थिरता) को जानना ही अंर्तदृष्टि है।
- स्थैर्य (स्थिरता) को न जानना अनिष्ट की ओर ले जाता है।
- स्थैर्य को जानने से मन खुलता है।
- खुले मन से आप हार्दिक होते हैं।
- हार्दिक, ह्रदय से होने पर आप जो करते हैं वह धार्मिक होता है।
- धार्मिक होने पर अप दिव्य को प्राप्त होते हैं।
- दिव्य होने पर ही आप ईश्वर से सायुज्य कर सकते हैं।
- ईश्वर से सायुज्य में सबकुछ निहित है।
तब शरीर के मरने पर भी, ईश्वर रहता है।
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