Thursday, October 22, 2009

‘‘ताओ तेह किंग’’ अध्याय 21

परमात्मा का अनुसरण करना महान धर्म और नैतिकता है।
वही अगम्य अमूर्त है।
अगम्य और अमूर्त है और फिर भी उसकी अनन्त छवियां हैं।
अगम्य और अमूर्त है और फिर भी उसके अनन्त रूपाकार हैं।
वह धुंधला और काला है और वही सारों का सार है।
वह परम सारवान है और अति यथार्थ है इसलिए उसमें श्रद्धा जैसा कुछ रखना झूठ है।
आदिकाल से अब तक उसका नाम कोई नहीं भुला पाया।
यह सब जानने के कारण, क्योंकि मैं उसे जानता हूं इसलिए मैं सृजन के मार्ग जानता हूं।

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