जो भारी है वह हल्के का मूल है
एक स्थिर ही सारे चलायमान का आधार है
इसलिए साधु सारा दिन सफर में रहते हैं
और अपनी गठरी पर नजर रखता है
हालांकि यहां कई सुन्दर चीजें देखने को हैं
वह सबसे (अ-जुड़ा) अममत्व में,
ओर शांत रहता है
क्यों दसियों हजारों रथों का स्वामी
जनता में लड़खड़ाता हुआ चलता है
हल्का होना, अपनी जड़ों से उखड़ना है
अशांत होना, अपने पर ही नियंत्रण खोना है
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