ताओ तेह किंग 32
ताओ हमेशा के लिए अपरिभाषित है
वह सूक्ष्मतम है, वह ऐसी अवस्था में है, जब बना ही नहीं है, अनादि है।
उसे ग्रहण नहीं किया जा सकता।
अगर कोई एक असली राजा और कोई मसीहा उसे अमल में लाते हैं
तो हजारों चीजें एकसाथ आ जाती हैं
और आनन्द की वर्षा होती है
किसी भी इंसान को किन्हीं कायदे कानूनों का पाठ पढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ती
सारी चीजें स्वतः समरस (हारमोनी में)-सामंजस्यपूर्ण हो चलने लगती हैं।
जब अखण्ड को, सम्पूर्ण को बांटा जाता है, तो इन टुकड़ों को नाम की जरूरत पड़ती है।
हालांकि अभी ही काफी नाम हैं।
किसी को तो समझना जानना चाहिए कि कब रूका जाये।
यह जानना कि कब रूका जाये, समस्याओं से बचाता है।
ताओ दुनियां में वैसे ही है जैसे एक नदी अपने घर या समन्दर की ओर जा रही है।
ताओ हमेशा के लिए अपरिभाषित है
वह सूक्ष्मतम है, वह ऐसी अवस्था में है, जब बना ही नहीं है, अनादि है।
उसे ग्रहण नहीं किया जा सकता।
अगर कोई एक असली राजा और कोई मसीहा उसे अमल में लाते हैं
तो हजारों चीजें एकसाथ आ जाती हैं
और आनन्द की वर्षा होती है
किसी भी इंसान को किन्हीं कायदे कानूनों का पाठ पढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ती
सारी चीजें स्वतः समरस (हारमोनी में)-सामंजस्यपूर्ण हो चलने लगती हैं।
जब अखण्ड को, सम्पूर्ण को बांटा जाता है, तो इन टुकड़ों को नाम की जरूरत पड़ती है।
हालांकि अभी ही काफी नाम हैं।
किसी को तो समझना जानना चाहिए कि कब रूका जाये।
यह जानना कि कब रूका जाये, समस्याओं से बचाता है।
ताओ दुनियां में वैसे ही है जैसे एक नदी अपने घर या समन्दर की ओर जा रही है।
संयम जीवन के हर पहलू के लिए आवश्यक है।
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