ताओ तेह किंग 38
एक वाकई में भला आदमी, अपने भलेपन से बेखबर रहता है।इसलिए तो वो भला है।
एक चालाक, सदैव भला आदमी होने की कोशिश करता है
इसलिए वो भला नहीं होता।
एक वाकई भला आदमी कुछ नहीं करता
और ऐसा कुछ भी नहीं छोड़ता जो अन-किया बचा हो।
एक मूर्ख व्यक्ति हमेशा कुछ ना कुछ करता रहता है
और हमेशा ही उसके पास कुछ ना कुछ करने को होता है।
जब वाकई एक दयालु आदमी कुछ करता है, तो वो कुछ भी अन-किया नहीं छोड़ता।
और जब एक आम आदमी कुछ करता है, तो उसके करने के लिए बहुत कुछ हमेशा बचा रहता है।
जब एक अनुशासनप्रिय कुछ करता है तो कोई प्रतिक्रिया नहीं होती,
वो किसी प्रयास को बल देने के लिए, अपनी आस्तीने नहीं चढ़ाता।
इसलिए जब ताओ खो जाता है, तो भलाई है।
जब भलाई खो जाती है तो, दयालुता है
जब दयालुता खो जाती है, तो केवल न्याय होता है
जब न्याय खो जाता है तो केवल परम्पराएं या रिवाज रह जाते हैं
परम्पराएं आस्था और ईमानदारी के भूसे के समान हैं, जो भ्रमों की शुरूआत है।
यहीं से नादानियों का आरंभ होता है।
भविष्य का ज्ञान केवल ताओ की ही सुकोमल पकड़ में रहता है।
अतःएव वाकई महान व्यक्ति किसी भी चीज के मूल को समझता है, ना कि सतही बातों को।
वह जड़ों को देखता है ना कि फूलों फलों को।
इसलिए केवल इसी को स्वीकारे बाकी सब नकार दें, निरस्त करें।
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